Chapter 8 –भारत का विभाजन, रियासतों का एकीकरण एवं विस्थापितों का पुनर्वास Exercise Solution
प्रश्न 1. भारत का विभाजन किन कारणों से हुआ?
उत्तर भारत के विभाजन के प्रमुख कारण:
धार्मिक मतभेद और सांप्रदायिकता:
- हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक अंतर थे, जिन्हें विभाजनकारी राजनीति और सांप्रदायिक तनाव ने हवा दी, जिससे व्यापक अविश्वास और हिंसा बढ़ी।
मुस्लिम लीग की भूमिका और द्वि-राष्ट्र सिद्धांत:
- मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने यह तर्क दिया कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं और उन्हें एक साथ शांति से नहीं रहना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान की मांग की गई।
अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो' नीति:
- अंग्रेजों ने धार्मिक और जातीय मतभेदों को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय एकता कमजोर हुई और विभाजन की प्रक्रिया तेज हुई।
कांग्रेस और मुस्लिम लीग में राजनीतिक असहमति:
- सत्ता के बंटवारे और भविष्य के संवैधानिक ढांचे को लेकर कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सहमति नहीं बन पाई, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी।
सांप्रदायिक दंगे और हिंसा:
- 1940 के दशक, विशेषकर 1946 के 'प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस' (Direct Action Day) के दौरान भड़के भीषण दंगों ने तनाव को चरम पर पहुंचा दिया और रक्तपात रोकने के लिए विभाजन को एक अपरिहार्य समाधान माना जाने लगा।
द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव:
- युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार का कमजोर होना और भारत छोड़ने का निर्णय, स्वतंत्रता की मांग को तेज करने के साथ-साथ, राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए जल्दबाजी में विभाजन की ओर ले गया।
माउंटबेटन योजना:
- लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा प्रस्तुत 3 जून, 1947 की योजना ने ब्रिटिश भारत को भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे दोनों प्रमुख दलों ने स्वीकार कर लिया और विभाजन को औपचारिक रूप दे दिया।
प्रश्न 2. क्या विभाजन को टाला जा सकता था?
उत्तर: हां, विभाजन को टाला जा सकता था। बहुत सारे मतभेदों के कारण मुस्लिम लीग और कांग्रेस का समझौता होना बहुत मुश्किल था। कांग्रेस के नेता सत्ता प्राप्त करने में लग गए और उन्होंने देश के विभाजन की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। महात्मा गांधी के प्रयासों में उनकी सहायता किसी ने नहीं की। मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनी बातें मनवाने के लिए पूरे देश में दंगे करवा दिए ताकि नेताओं के ऊपर दबाव पढ़े और वह ज्यादा विचार ना करें।
प्रश्न 3. रियासतों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका पर विचार करें।
उत्तर: सरदार पटेल ने अपनी कूटनीतिक बौद्धिक क्षमता का प्रयोग इन रियासतों के एकीकरण के लिए किया और सफल भी रहे। उन्होंने लगभग 562 से अधिक देशी रियासतों को स्वेच्छापूर्वक भारतीय संघ में मिलाया। स्वतंत्रता के समय अंग्रेजों ने तीन रियासतों को उनकी मर्जी पर छोड़ दिया था। ये रियासत थे जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद रियासत।
प्रश्न 4. जूनागढ़, हैदराबाद एवं कश्मीर के विलय पर विचार करें।
उत्तर :
जूनागढ़ का विलय
- स्थिति: सौराष्ट्र में स्थित, मुस्लिम नवाब था लेकिन बहुसंख्यक आबादी हिंदू थी, भौगोलिक रूप से भारत से घिरा था, फिर भी नवाब ने पाकिस्तान में विलय की घोषणा की।
- विलय प्रक्रिया: नवाब के पाकिस्तान भागने के बाद, वहाँ की जनता ने भारत में शामिल होने की इच्छा जताई, जिसके बाद 1948 में जनमत संग्रह हुआ, जिसमें 91% से अधिक लोगों ने भारत के पक्ष में मतदान किया।
हैदराबाद का विलय
- स्थिति: भारत की सबसे बड़ी और सबसे समृद्ध रियासत, निज़ाम ने स्वतंत्रता की मांग की और भारत में विलय से इनकार किया, जबकि बहुसंख्यक आबादी हिंदू थी।
- विलय प्रक्रिया: निज़ाम के रवैये के कारण, सरदार पटेल के नेतृत्व में भारतीय सेना ने सितंबर 1948 में "ऑपरेशन पोलो" (पुलिस कार्रवाई) शुरू की, जिसके बाद निज़ाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और विलय हो गया।
कश्मीर का विलय
- स्थिति: हिंदू शासक (महाराजा हरि सिंह) और बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी, जो भारत या पाकिस्तान में शामिल होने में हिचकिचा रहे थे।
- विलय प्रक्रिया: पाकिस्तान समर्थित जनजातियों के आक्रमण के बाद, महाराजा हरि सिंह ने अक्टूबर 1947 में भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद भारतीय सेना ने आक्रमणकारियों को रोका और कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया।
निष्कर्ष: इन तीनों रियासतों के विलय ने भारत की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की, हालाँकि कश्मीर का मुद्दा आज भी अनसुलझा है, जो इसके विलय की जटिलता को दर्शाता है।
प्रश्न 5. विस्थापितों की समस्याओं का वर्णन करते हुए उनके पुनर्वास पर चर्चा करें।
उत्तर: विस्थापन की समस्या में लोगों को विकास परियोजनाओं या आपदाओं के कारण घर-जमीन से बेदखल किया जाता है, जिससे वे आर्थिक (रोजगार, आजीविका का नुकसान), सामाजिक (सांस्कृतिक विघटन, सामाजिक अलगाव), और मनोवैज्ञानिक (मानसिक तनाव, आघात) समस्याओं से जूझते हैं, जबकि उनका पुनर्वास अक्सर अपर्याप्त होता है; इसके समाधान के लिए उचित मुआवजा, बेहतर आवास, आजीविका बहाली, और सामुदायिक भागीदारी के साथ सशक्त नीतियाँ आवश्यक हैं ताकि विकास समावेशी हो और कोई पीछे न छूटे।
प्रश्न 6. शरणार्थियों की जीवन शैली के स्थानीय जनता पर पड़े प्रभावों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर शरणार्थियों की वजह से आम जनता पर बहुत सारे प्रभाव पड़े।
- बहुत सारे इलाकों में भारी भीड़ इकट्ठी हो गई।
- विस्थापन की वजह से लगभग पूरे उत्तर भारत में दंगे भड़के हुए थे।
- लोगों को डर से अपना जीवन जीना पड़ रहा था।
- लोगों की संपत्ति लूटी जा रही थी।
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