HBSE Class 11 History इतिहास (हरियाणा बोर्ड) Chapter-1 लेखन कला-और शहरी जीवन Exercise Solution
प्रश्न 1.आप यह कैसे कह सकते हैं कि प्राकृतिक उर्वरता तथा खाद्य उत्पादन के उच्च स्तर ही आरम्भ में शहरीकरण के कारण थे?
उत्तर :प्राकृतिक उर्वरता तथा खाद्य-उत्पादन के नए स्तर आरम्भ में शहरीकरण के कारण थे। इस तथ्य की पुष्टि मेसोपोटामिया की भौगोलिक परिस्थितियों से होता है
यहाँ पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे, ऊँचे-नीचे मैदान हैं। यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा होती है। पशुपालन के लिए घास के विस्तृत क्षेत्र हैं।
इन क्षेत्रों में शहरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी। दजल-फरात
नदियाँ उपजाऊ बारीक मिट्टी लाती थीं जिससे यहाँ पर्याप्त अनाज पैदा होता था।
प्रश्न 2.आपके विचार से निम्नलिखित में से कौन-सी आवश्यक दशाएँ थीं जिनकी वजह से प्रारम्भ में शहरीकरण हुआ था और निम्नलिखित में से कौन-कौन सी बातें शहरों के विकास के फलस्वरूप उत्पन्न हुई?
(क) अत्यन्त उत्पादक खेती
(ख) जल परिवहन
(ग) धातु और पत्थर की कमी
(घ) श्रम-विभाजन
(ङ) मुद्राओं का प्रयोग
(च) राजाओं की सैन्यशक्ति जिसने श्रम को अनिवार्य बना दिया।
उत्तर :
निम्नलिखित आवश्यक दशाएँ थीं जिनकी वजह से प्रारम्भ में शहरीकण हुआ था
(क) अत्यन्त उत्पादक खेती
(ख) जल-परिवहन
(घ) श्रम-विभाजन
(च) राजाओं की सैन्यशक्ति जिसने श्रम को अनिवार्य बना दियानिम्नलिखित बातें शहरों के विकास के फलस्वरूप उत्पन्न हुईं
(ग) धातु और पत्थर की कमी
(ङ) मुद्राओं का प्रयोग
प्रश्न 3.यह कहना क्यों सही होगा कि खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी जीवन के लिए खतरा थे?
उत्तर :खानाबदोश पशुचारक निश्चित रूप से शहरी जीवन के लिए खतरा थे,यह निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होता है
मारी नगर के दक्षिण के मैदान के खानाबदोश पशुचारक या गड़रिये किसानों के लिए खाद्य का प्रबन्ध करते थे परन्तु कई बार दोनों के मध्य झगड़े हो जाते थे। गड़रिये कई बार भेड़-बकरियों को पानी पिलाने के लिए बोए गए खेतों से गुजर जाते थे जिससे किसान की फसल को हानि पहुँचती थी।
खानाबदोश गड़रिये कई बार किसानों के गाँवों पर हमला बोल देते थे। वे उनका एकत्र धन-धान्य लूट लेते थे।
पश्चिमी मरुस्थल से गर्मियों में खानाबदोश गड़रिये अपने साथ मेसोपोटामिया में बोए हुए खेतों में अपनी भेड़-बकरियाँ ले आते थे। ये समूह गड़रियों, फसल काटने वाले मजदूरों अथवा भाड़े के सैनिकों के रूप में आए और समृद्ध होकर यहीं बस गए तथा शासन शक्ति भी प्राप्त कर ली।
प्रश्न 4.आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि पुराने मन्दिर बहुत कुछ घर जैसे ही होंगे?
उत्तर :कुछ प्राचीन मन्दिर साधारण घरों से अलग किस्म के नहीं होते थे क्योंकि मन्दिर में किसी स्थानीय देवता का वास होता था। मन्दिरों की बाहरी दीवारें विशेष अन्तरालों के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी होती थीं। यही इन मन्दिरों की मुख्य विशेषता थी। सामान्य घरों की दीवारें ऐसी नहीं होती थीं
प्रश्न 5.शहरी जीवन शुरू होने के बाद कौन-कौन सी नई संस्थाएँ अस्तित्व में आईं? आपके विचार से उनमें से कौन-सी संस्थाएँ राजा के महल पर निर्भर थीं?
उत्तर :शहरी जीवन शुरू होने के बाद निम्नलिखित संस्थाएँ अस्तित्व में आईं
व्यापार
विनिर्माण
सेवाएँ
श्रम-विभाजन
खाद्य-पदार्थों का संग्रहण एवं वितरण
मुद्रा-निर्माण
लेखा-विभाग
आयात-निर्यात
परिवहन व्यवस्था
लेखन प्रणाली
साक्षरता
मन्दिर
युद्धबन्दी
परिवार
विवाह
वास्तुकला
पशुचारक
कब्रिस्तान
इनमें से निम्नलिखित संस्थाएँ राजा के महल पर निर्भर थीं
व्यापार
सेवाएँ
श्रम-विभाजन
खाद्य-पदार्थों का संग्रहण एवं वितरण
मुद्रा-निर्माण
आयात-निर्यात
युद्धबन्दी
कब्रिस्तान
प्रश्न 6.किन पुरानी कहानियों में हमें मेसोपोटामिया की सभ्यता की झलक मिलती है?
उत्तर : मेसोपोटामिया की सभ्यता की झलक देने वाली कुछ पुरानी कहानियाँ निम्नलिखित हैं: हम बाइबिल के पहले भाग, ओल्ड टेस्टामेंट के कई संदर्भों में मेसोपोटामिया सभ्यता की झलक देख सकते हैं। उदाहरण के लिए, 'शिमर' का उल्लेख 'ओल्ड टेस्टामेंट' की 'बुक ऑफ जेनेसिस' में किया गया है, जो सुमेर ईंटों से बने शहर की भूमि को संदर्भित करता है। यूरोपीय लोग इस भूमि को अपने पूर्वजों की भूमि मानते हैं और जब इस क्षेत्र में पुरातात्विक खोजें शुरू हुईं तो पुराने नियम को अक्षरशः सिद्ध करने का प्रयास किया गया।
1873 में, ब्रिटिश अखबार ने मेसोपोटामिया में एक टैबलेट की खोज के लिए ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा शुरू किए गए एक खोज अभियान को वित्त पोषित किया, जिसमें बाइबिल में उल्लिखित बाढ़ की कहानी थी।
बाइबिल के अनुसार, यह जलप्रलय पृथ्वी पर सभी जीवन को नष्ट करने वाला था। लेकिन भगवान ने जलप्रलय के बाद भी पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखने के लिए नाओह नाम के एक व्यक्ति को चुना। नूह ने एक बहुत बड़ी नाव बनाई और उसमें सभी प्राणियों का एक जोड़ा रखा, और जब बाढ़ आई, तो बाकी सब कुछ नष्ट हो गया, लेकिन नाव में सभी जोड़े सुरक्षित बच गए। ऐसी ही एक कहानी मेसोपोटामिया के पारंपरिक साहित्य में भी मिलती है। इस कहानी के मुख्य पात्र को 'ज़िसुद्र' या 'उत्तापिष्टिम' कहा जाता था।
1960 के दशक में पुराने नियम की कहानियाँ वस्तुतः सटीक नहीं पाई गईं, लेकिन वे इतिहास में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों को व्यक्त करती हैं। धीरे-धीरे, पुरातात्विक तकनीकें अधिक से अधिक उन्नत और परिष्कृत होती गईं। यहाँ तक कि सामान्य लोगों के जीवन की भी परिकल्पना की जाने लगी। बाइबल की कहानियों की शाब्दिक सत्यता की जाँच करने का कार्य गौण हो गया। ऐसी जलप्रलय की घटना का उल्लेख छायावादी कवि 'जयशंकर प्रसाद जी' ने अपने महाकाव्य 'कामायनी' में किया है। इस जलप्रलय में बचे हुए प्राणियों में मनु-श्रद्धा और इड़ा को दर्शाया गया है। उनके द्वारा ब्रह्माण्ड की रचना का कार्य पुनः प्रारम्भ हो गया था।
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