HBSE Class 11 History इतिहास (हरियाणा बोर्ड) Chapter-1 लेखन कला-और शहरी जीवन Notes
मेसोपोटामिया :-
दजला और फरात नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है शहरी जीवन की शुरुआत इसी सभ्यता में होती है शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविदया के लिए प्रसिद्ध है।
मेसोपोटामिया का अर्थ :-
यह शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों 'मेसोस ' यानि मध्य 'पोटैमोस 'यानि नदी से मिलकर बना है | मैसोपोटामिया दजला व फरात नदियों के बीच की उपजाऊ धरती को इंगित करता है ।
मेसोपोटामिया की भाषा :-
प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरियन यानी सुमेरी थी। धीरे-धीरे 2400 ई.पू के आसपास जब अक्कदी भाषी लोग यहाँ आ गए तब अक्कदी ने सुमेरी भाषा का स्थान ले लिया। अक्कदी भाषा सिकंदर के समय (336-323 ईपू ) तक कुछ क्षेत्रीय परिवर्तनों के साथ फलती-फूलती रही। 1400 ई.पू से धीरे-धीरे अरामाइक भाषा का भी प्रवेश शुरू हुआ। यह भाषा हिब्र् से मिलती-जुलती थी ओर 1000 ई.पू के बाद व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी। यह आज भी इराक के कुछ भागों में बोली जाती हे।
मेसोपोटामिया की ऐतिहासिक जानकारी के प्रमुख स्त्रोत :-
मेसोपोटामिया में पुरातत्त्वीय खोजों की शुरुआत 1840 के दशक में हुई। वहाँ एक या दो स्थलों पर जैसे उरुक और मारी उत्खनन कार्य कई दशकों तक चलता रहा। इन खुदाइयों के फलस्वरूप आज हम इतिहास के स्रोतों के रूप में सैकड़ों की संख्या में इमारतों, मूर्तियों, आभूषणों, कब्रों, औज़ारों ओर मुद्राओं का ही नहीं बल्कि हज़ारों की संख्या में लिखित दस्तावेज़ों का भी अध्ययन कर सकते हें।
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि बाईबल के प्रथम भाग “ओल्ड टेस्टामेंट' में इसका उल्लेख कई संदर्भों में किया गया हे। उदाहरण के लिए, ओल्ड टेस्टामेंट की 'बुक ऑफ जेनेसिस' (Book of Genesis) में 'शिमार' (Shimar) का उल्लेख है जिसका तात्पर्य अर्थात् सुमेर ईंटों से बने शहरों की भूमि से है। यूरोप के यात्री ओर विद्वज्जन मेसोपोटामिया को एक तरह से अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे, और जब इस क्षेत्र में पुरातत्वीय खोज की शुरुआत हुई तो ओल्ड टेस्टामेंट के अक्षरश: सत्य को सिद्ध करने का प्रयत्न किया गया।
सन 1873 में एक ब्रिटिश सामाचार-पत्र ने ब्रिटिश म्यूज़ियम द्वारा प्रारंभ किए गए खोज अभियान का खर्च उठाया जिसके अंतर्गत मेसोपोटामिया में एक ऐसी पट्टिका (Tablet) की खोज की जानी थी जिसपर बाईबल में उल्लिखित जलप्लावन (Flood) की कहानी का अंकन था।
बाईबल के अनुसार यह जलप्लावन पृथ्वी पर संपूर्ण जीवन को नष्ट करने वाला था। किंतु परमेश्वर ने जलप्लावन के बाद भी जीवन को पृथ्वी पर सुरक्षित रखने के लिए नोआ (Naoh)नाम के एक मनुष्य को चुना। नोआ ने एक बहुत विशाल नाव बनायी ओर उसमें सभी जीव-जंतुओं का एक-एक जोड़ा रख लिया और जब जलप्लावन हुआ तो बाकी सब कुछ नष्ट हो गया पर नाव में रखे सभी जोडे सुरक्षित बच गए। ऐसी ही एक कहानी मेसोपोटामिया के परंपरागत साहित्य में भी मिलती है;इस कहानी के मुख्य पात्र को 'ज़िउ्सूद्र (Ziusudra) या “उतनापिष्टिम (Utnapishtim) जाता था।
मेसोपोटामिया की भौगोलिक स्थित :-
इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर और अक्कद कहा जाता था , बाद में इस भाग को बेबीलोनिया कहा जाने लगा | इसके उत्तरी भाग को असीरियाईयों के कब्जा होने के बाद असीरिया कहा जाने लगा ।
★ इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई . पू . में प्रारम्भ हो गया था |उरूक , उर ओर मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे |
★यहाँ स्टेपी घास के मैदान हैं अतः पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अच्छा साधन है | अतः यहाँ कृषि , पशुपालन एवं व्यापार आजीविका के विभिन्न साधन हैं ।
★ यहाँ के लोग औजार बनाने के लिए कॉसे का इस्तेमाल करते थे | यहाँ के उरुक नगर में एक स्त्री का शीर्ष मिला है जो सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया है - वार्का शीर्ष ।
★श्रम विभाजन एवं सामाजिक संगठन शहरी जीवन एवं अर्थव्यवस्था की विशेषता थे ।
★ यहाँ खादय - संसाधन तो समृद्ध थे परन्तु खनिज - संसाधनों का अभाव था , जिन्हें तुर्की ,ईरान अथवा खाड़ी पार देशों से मंगाया जाता था |
★यहाँ व्यापार के लिए परिवहन व्यवस्था अच्छी थी जलमार्ग द्वारा फरात नदी व्यापार के लिए विश्व मार्ग के रुप में प्रसिद्ध थी ।
★शहरी अर्थव्यवस्था में हिसाब - किताब , लेन - देन , रखने के लिए , यहाँ लेखन कला का विकास हुआ ।
- दज़ला और फरात नाम की नदियां उत्तरी पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाउ बारीक मिटटी लाती रही हैं | जब इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया जाता है तब यह उपजाऊ मिटटी वहाँ जमा हो जाती है ।
- यहाँ का रेगिस्तानी भाग जो दक्षिण में स्थित है यहाँ भी कृषि की जाती है फरात नदी जब इन रेगिस्तानों में पहुंचती है तो छोटे - छोटे कई धाराओं में बंटकर नहरों जैसे सिंचाई का कार्य करती है | यहाँ गेंहूं ,जौ , मटर और मसूर की खेती की जाती है ।
- दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे ज़्यादा उपज देने वाल्री हुआ करती थी। हालांकि वहाँ फसल उपजाने के लिए आवश्यक वर्षा की कुछ कमी रहती।
- स्टेपी क्षेत्र का प्रमुख कार्य पशुपालन था । यहाँ खेती के अलावा भेड़ बकरियों स्टेपी घास के मैदानों , पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालों पर पाली जाती थीं ।
लेखन प्रणाली की विशेषताएं :-
- ध्वनि के लिए कीलाक्षर या किलाकार चिन्ह का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता है ।
- अलग अलग ध्वनियों के लिए अलग अलग चिन्ह होते थे जिसके कारण लिपिक को सैकड़ों चिन्ह सीखने पड़ते थे ।
- सुखने से पहले इन्हें गीली पट्टी पर लिखना होता था।
- लिखने के लिए कुशल व्यक्ति की आवश्यकता होती थी ।
- इसमें भाषा - विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य रूप देना होता था।
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- यह लातिनी शब्द 'क्यूनियस ', जिसका अर्थ 'खूँटी' और फोर्मा जिसका अर्थ ' आकार ' है ,से मिलकर बना है ।
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मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगर :- |
- इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई . पू . में प्रारम्भ हो गया था | उरूक , उर ओर मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे ।
- यहाँ उर नगर में नगर - नियोजन पद्धति का अभाव था , गलियां टेढ़ी -मेढ़ी एवं संकरी थी | जल - निकास प्रणाली अच्छी नहीं थी | उर वासी घर बनाते समय शकुन - अपशकुन पर विचार करते थे |
- 2000 ई. पू . के बाद फरात नदी की उध्वंधारा पर मारी नगर शाही राजधानी के रूप में फला -फूला | यह अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्तिथ था । इसके कारण यह बहुत समृद्ध तथा खुशहाल था । यहाँ जिमरीलियम का राजमहल मिला है तथा एक मंदिर भी मिला है ।
- काल - गणना और गणित की विद्वतापूर्ण परम्परा दुनिया को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन है ।
- इस सभ्यता के लोग गुणा - भाग , वर्गमूल , चक्रवृद्धि ब्याज आदि से परिचित थे |
- काल गणना के लिए यहाँ के लोगों ने एक वर्ष का 12 महीनों में ,1 महीने का 4 हफ्तों में ,1 दिन का 24 घंटों में तथा 1 घंटे का 60 मिनट में विभाजन किया था ।
- वे जो मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए शहर
- वे जो व्यापार के केन्द्रों के रूप में विकसित हुए शहर
- शाही शहर
- शहरी जीवन में श्रम - विभाजन होता है ।
- विभिन्न कार्य से जुड़े लोग आपस में लेनदेन के माध्यम से जुड़े रहते हैं ।
- शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन , धातु , विभिन्न प्रकार के पत्थर , लकड़ी आदि जरूरी चीजें भिन्न - भिन्न जगहों से आती हैं ।
- मेसोपोटामिया के खादय - संसाधन चाहे कितने भी समृदध रहे हों , उसके यहाँ खनिज - संसाधनों का अभाव था | दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार , मोहरें मुद्राएं और आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की कमी थी |
- इराकी खजूर और पोपलार के पेड़ों की लकड़ी , गाडियाँ , गाडियों के पहिए या नावें बनाने के लिए कोई खास अच्छी नहीं थी
- औजार , पात्र ,या गहने बनाने के लिए कोई धातु वहाँ उपलब्ध नहीं थी |
- मेसोपोटामियाई लोग संभवतः लकड़ी ,ताँबा , राँगा , चाँदी , सोना , सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी - पार के देशों से मंगाते थे जिसके लिए वे अपना कपड़ा और कृषि - जन्य उत्पाद काफी मात्रा में उन्हें निर्यात करते थे ।
- मेसोपोटामिया के कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों की तरह थे अंतर केवल मंदिर की बाहरी दीवारों के कारण था जो कुछ खास अंतराल्र के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी होती थीं | 'उर '(चंद्र ) एवं इन्नाना ( प्रेम एवं युद्ध की देवी ) यहाँ के प्रमुख देवी देवता थे ।
- ये कच्ची ईंटों का बना हुआ होता था ।
- इन मंदिरों में विभिन्न प्रकार के देवी - देवताओं के निवास स्थान थे , जैसे उर जो चंद्र देवता था और इन्नाना जो प्रेम व युद्ध की देवी थी ।
- ये मंदिर ईंटों से बनाए जाते थे और समय के साथ बड़े होते गए | क्योंकि उनके खुले आँगनों के चारों ओर कई कमरे बने होते थे ।
- कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों से अलग किस्म के नहीं होते थे - क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही होता था |
- मंदिरों की बाहरी दीवारें कुछ खास अंतरालों के बाद भीतर ओर बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं यही मंदिरों की विशेषता थी ।
- देवता पूजा का केंद्र बिंदु होता था ।
- लोग देवी - देवता के लिए अन्न ,दही , मछली लाते थे
- आराध्य देव सैद्धांतिक रूप से खेतों , मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी माना जाता था |
- समय आने पर उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया जैसे तेल निकालना , अनाज पीसना , कातना आरै ऊनी कपड़ों को बुनना आदि मंदिरों के पास ही की जाती थी ।
- समय का यह विभाजन सिकंदर के उत्तराधिकारियों दवारा अपनाया गया और वहाँ से यह रोम तथा इस्लाम की दुनिया में तथा बाद में मध्ययुगीन यूरोप में पहुँचा।
- गिल्गेमिश :- उरूक नगर का शासक था , महान योद्धा था , जिसने दूर -दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था।
- असीरियाई शासक असुर बनिपाल ने बेबिलोनिया से कई मिट्टी की पट्टिकायें मंगवाकर निनवै में एक पुस्तकालय स्थापित किया था।
- नैबोपोलास्सर ने 625 ई.पू . में बेबिलोनिया को असीरियाई आधिपत्य से मुक्त कराया था |
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